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Thursday, January 12, 2012

हाय तेरा गुस्सा!

ओके जी...हम फिर से आ गए...अब इतना तो हमको समझ में आ ही रहा है कि हमें कोई सुन नहीं रहा...इस बात से हमारी हिम्मत और बढ़ गयी है...वो क्या है न कि जब लोग आपको देखते हैं तो आप नर्वस हो जाते हैं...पर कोई देखने वाला नहीं होता है तो आप एकदम मन से गाते हैं...वो गाना सबसे अच्छे भले न हो...मुझे बड़ा भला सा लगता है :)

वैसे आज का टोपिक है गुस्सा...अक्सर होता है न कि कोई मुंह फुलाए बैठा है...तो उसे कैसे मनाया जा सकता है? सुनो सुनो! :)

और मैं जिस गाने की बात कर रही हूँ वो आप यहाँ सुन सकते हैं... 

8 comments:

अनुपमा पाठक said...

हम सुन रहे हैं आपको...
यूँ ही सुनाती जाईये:)

Puja Upadhyay said...

हाय अनुपमा...तुम कित्ती अच्छी हो जी! :)

abhi said...

मस्त...जबरदस्त ;) जब तक ना मनाये तब तक एकदम बात मत कीजियेगा...:P :P

और आपने तो रिपोर्टिंग कर दी शुरू में...बैंगलोर की.. :( हद मिस कर रहा हूँ...
और इंदिरानगर...अपने आवारागर्दी के दिनों में हद घूमते थे..
मैं आ रहा हूँ छब्बीस तारीख को बैंगलोर....


वैसे दरवाज़े खिड़कियाँ के पास मुझे भी हंसी आ गयीं थी :P

Manoj K said...

FM puja unplugged.. enjoyed this.. keep posting

Madhuresh said...

Aapka podcast suna, bas barbas hi pahunch gaya blogs se guzarte guzarte... aur kya kehne!..sun sun kar itni hansi aa rahi thi... bhai, mashallah! aap laajawaab ho!! cutties hai ji.. unse jo sunkar hans na den!! bahut umda!

Puja Upadhyay said...

शुक्रिया मनोज...कोशिश करती हूँ नियमित पोस्ट करने की।
शुक्रिया मधुरेश...आपका ब्लॉग अभी देखा। आप बहुत सुंदर लिखते हैं।

प्रवीण पाण्डेय said...

Far more better than the best of RJs. Don't apply, they will certainly take you.

Puja Upadhyay said...

Now I am embarrassed and flattered. I am a little too conscious of this blog...कुछ से कुछ बकबक करती रहती हूँ इधर...बस ऐसे ही टाइमपास जैसा कुछ.

शुक्रिया प्रवीण जी.